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पैन के बारे में

स्थायी खाता संख्या (PAN) एक दस अंकों वाला अल्फ़ान्यूमेरिक नंबर है जो आयकर विभाग द्वारा एक लेमिनेटेड कार्ड के रूप में किसी भी "व्यक्ति" को जारी किया जाता है, जो इसके लिए आवेदन करता है या जिसे विभाग बिना आवेदन के नंबर आवंटित करता है।

पैन विभाग को "व्यक्ति" के सभी लेन-देन को विभाग के साथ जोड़ने में सक्षम बनाता है। इन लेन-देन में कर भुगतान, टीडीएस / टीसीएस क्रेडिट, आय / धन / उपहार / एफबीटी के रिटर्न, निर्दिष्ट लेन- देनो, पत्राचार आदि शामिल हैं। इस प्रकार, पैन, कर विभाग के साथ "व्यक्ति" के लिए एक पहचानकर्ता के रूप में कार्य करता है।

पैन को विभिन्न दस्तावेजों को सरलतापूर्वक जोड़ने के लिए शुरू किया गया था, जिसमें एक निर्धारिती से संबंधित करों का भुगतान, निर्धारण, कर की मांग, कर बकाया आदि सूचना की आसान पुनर्प्राप्ति की सुविधा और निवेश से संबंधित सूचनाओं के मिलान की सुविधा, ऋण उठाना और विभिन्न स्रोतों से एकत्रित करदाताओं की अन्य व्यावसायिक गतिविधियाँ दोनों आंतरिक और साथ ही बाहरी, कर चोरी का पता लगाने और उससे मुकाबला करने और कर आधार को विस्तृत करना शामिल है।

एक विशिष्ट पैन AFZPK7190K है। उपरोक्त पैन में पहले तीन वर्ण अर्थात "AFZ" अल्फाबेटिक श्रृंखला है जो AAA से लेकर ZZZ तक चल रही है चौथा वर्ण अर्थात् उपरोक्त पैन में "P" पैन धारक की स्थिति को दर्शाता है। "P" व्यक्ति के लिए है, "F" फर्म के लिए है, "C" कंपनी के लिए है, "H" एचयूएफ के लिए है, "A" एओपी के लिए है, "T" ट्रस्ट के लिए है आदि। पाँचवाँ वर्ण यानी उपरोक्त पैन में “K” पैन धारक के अंतिम नाम / उपनाम के पहले वर्ण को दर्शाता है। अगले चार वर्ण यानी “7190” उपरोक्त पैन में क्रमांक संख्या 0001 से 9999 तक है जो क्रमबद्ध चल रही है। अंतिम वर्ण अर्थात् उपरोक्त पैन में “K” एक अक्षर जांच अंक है।

पैन का होना क्यों आवश्यक है?

किसी भी आयकर प्राधिकारी के साथ सभी पत्र व्यवहार आयकर रिटर्न पर पैन उद्धृत करना अनिवार्य है। 1 जनवरी 2005 से आयकर विभाग के देय किसी भी भुगतान के लिए चालान पर पैन उद्धृत करना अनिवार्य होगा।

निम्नलिखित वित्तीय लेन- देनो से संबंधित सभी दस्तावेजों में भी पैन को उद्धृत करना भी अनिवार्य है: -

  • पांच लाख रुपये या उससे अधिक मूल्य की किसी भी अचल संपत्ति की बिक्री या खरीद;
  • मोटर वाहन या वाहन की बिक्री या खरीद, [मोटर वाहन या वाहन की बिक्री या खरीद में दो पहिया वाहन शामिल नहीं होते हैं, मोटर वाहन के साथ जुड़े अतिरिक्त पहिए वाली डिटैचेबल साइड कार शामिल;
  • एक बैंकिंग कंपनी में समावधि जो पचास हजार रुपये से अधिक हो;
  • डाकघर बचत बैंक में किसी भी खाते में जमा राशि जो पचास हजार रुपये से अधिक हो;
  • प्रतिभूतियों की बिक्री या खरीद के लिए एक लाख रुपये से अधिक मूल्य का संविदा;
  • बैंक खाता खोलना
  • एक टेलीफोन कनेक्शन लेने के लिए आवेदन करना (एक सेलुलर टेलीफोन कनेक्शन सहित);
  • किसी भी एक समय पर होटल और रेस्तरां को उनके एक मुश्त पच्चीस हजार रुपये से अधिक की राशि के बिलों का भुगतान करना
  • किसी भी एक दिन के दौरान पचास हजार रुपये या उससे अधिक की राशि के बैंक ड्राफ्ट खरीदने या पे-ऑर्डर्स या बैंकर चेक के लिए नकद में भुगतान
  • किसी भी एक दिन के दौरान बैंक के साथ पचास हज़ार रुपये या उससे अधिक नकद जमा करना
  • किसी भी एक समय में पच्चीस हजार रुपये से अधिक की राशि के किसी भी विदेश यात्रा के संबंध में नकद में भुगतान।

पैन - कानूनी रूपरेखा

पैन की नई श्रृंखला के आबंटन और उपयोग का कानूनी अधिकार आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139 ए से लिया गया है। यह खंड पैन के लिए रूपरेखा तैयार करता है, जैसे किसे पैन के लिए आवेदन करना आवश्यक है, और पैन के लिए कौन आवेदन कर सकता है, पैन कौन आवंटित करेगा, लेन-देन, जहां पैन को उद्धृत किया जाना आवश्यक है, टीडीएस प्रमाण पत्र और टीडीएस रिटर्न में पैन का प्रयोग, एक व्यक्ति के पास केवल एक पैन एवं पैन के लिए आवेदन करने का तरीका ।

पैन के लिए आवेदन करने का तरीका आयकर नियम, 1962 के नियम 114 में दिया गया है। यह नियम 2003 में संशोधित किया गया जो पैन आवेदन के साथ पैन आवेदक द्वारा जमा किए जाने वाले आवश्यक दस्तावेजों की प्रतियों सहित उनके पहचान और पते के प्रमाण को भी निर्दिष्ट करता है।

नियम 114 बी उन दस्तावेजों को सूचीबद्ध करता है जिसमें निर्दिष्ट लेन-देन / गतिविधियाँ करते समय पैन को उद्धृत करने की आवश्यकता होती है। जिन व्यक्तियों के पास पैन नहीं है, उन्हें फॉर्म 60 में एक घोषणा प्रस्तुत करने पर पैन को उद्धृत करने से छूट दी गई है। नियम 114 सी उन व्यक्तियों को सूचीबद्ध करता है जिनके ऊपर धारा 139 ए लागू नहीं होती है। ये ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने पास फार्म 61 में घोषणा प्रस्तुत की है कि उनके पास कृषि आय है, गैर-निवासी, केंद्रीय सरकार/ राज्य सरकार और कांसुलर कार्यालय जहां वे भुगतानकर्ता हैं।

धारा 139 ए के प्रावधानों का पालन न करने पर धारा 272 बी के तहत 10,000/ - का जुर्माना लगाया जाता है।